सिद्धार्थ मलैया की बीजेपी में वापसी के बाद दमोह नगर पालिका में उलट फेर की बड़ी संभावना।

Damoh Today News : दमोह की राजनीति में आये नए परिर्वतन के बाद सियासी समीकरण भी अब बदलने वाले हैं। दरासल गुरूवार को भोपाल में पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ मलैया की दो साल बाद भाजपा में फिर से वापसी होने के बाद राजनेतिक जानकार इसे सिद्धार्थ की परीक्षा में पास होना मानते है। दमोह में 28 अप्रेल से शुरू हो रहे बुंदेली मेले की तैयारियों की मीटिंग से ही सिद्धार्थ की वापसी की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। दो दिन पहले दमोह पहुंचे प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ने तो पुराने लोगों को जोडऩे की बात कहकर जैसे वापसी की मुहर ही लगा दी थी।
निष्काषन के बाद बनते गए समीकरण :
दमोह उपचुनाव के बाद हुए पार्टी से निष्कासन के बाद सिद्धार्थ ने टीएसएम (टीम सिद्धार्थ मलैया) के बैनर तले जिला पंचायत और नगरपालिका के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के विरुद्ध फाइट किया था। उनकी इस मौजूदगी से जिपं और नपा से बीजेपी को बाहर होना पड़ा था। दमोह में 5 पार्षद भी उनके चुनकर आए थे। इस तरह दमोह में मलैया इफैक्ट देखने को मिला था।इसका जिक्र नवंबर 2022 में मलैया के जन्मदिन पर हुए अमृत महोत्सव कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश के दिग्गज नेताओं ने मंच से किया था। मुख्यमंत्री तो यह तक कह गए थे कि जयंत मलैया के बिना दमोह अंधूरा है और अभी रिटायरमेंट का समय नहीं है। इसके बाद बीजेपी में सियासी सरगर्मी तेज हो गई थी। खास बात यह रही कि बेटे की इस परीक्षा के दौरान पूर्व मंत्री जयंत मलैया पूरी तरह दूरी बनाए रहे। यहां तक कि उन्होंने इस पर कोई बयान तक नहीं दिया।
नगरपालिका में भाजपा कर सकती अपना कब्जा :
सिद्धार्थ की बीजेपी में वापसी के साथ ही सियासी हलचल तेज हो गई है। ऐसे में सिद्धार्थ बीजेपी को पहला तोहफा क्या देंगे, इस पर भी चर्चा शुरू हो गई है। सूत्रों के मुताबिक़ दमोह नगरपालिका में बीजेपी अध्यक्ष को बैठाकर पहला तोहफा सिद्धार्थ पार्टी को दे सकते हैं। क्योंकि अगर आंकड़ों पर गौर करें तो बीजेपी के पास 14 पार्षद हैं जबकि सिद्धार्थ के पास 5 पार्षद है। ऐसे में अगर दोनों को मिला लिया जाए तो स्पष्ट बहुमत के साथ बीजेपी का अध्यक्ष नगर पालिका में बैठ सकता है। खबर है कि इसके लिए बीजेपी जल्द ही नगर पालिका में अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकती है। यहां आपको बता दें कि अभी कांग्रेस की अध्यक्ष 21 सदस्यों के मतों के साथ कुर्सी पर काबिज है। जबकि बीजेपी अभी तक नेता प्रतिपक्ष भी घोषित नहीं कर पाई है।