कलेक्टर तरुण राठी ने धारा 144 के अंतर्गत जिले की सीमा में गेंहूं एवं अन्य फसलों के डंठलों (नरवाई) में आग लगाये जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
दमोह (लॉकडाउन 2.0) । जन सामान्य के हित को देखते हुए सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा पर्यावरण की हानि रोकने एवं लोक व्यवस्था बनाये रखने हेतु कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट तरूण राठी ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अंतर्गत जिले की सीमा में गेंहूं एवं अन्य फसलों के डंठलों (नरवाई) में आग लगाये जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
यह आदेश जिले की संपूर्ण राजस्व सीमा अंतर्गत जनसामान्य के जान-माल की सुरक्षा तथा भविष्य में लोक शांति भंग होने की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुये जारी किया गया है, लेकिन जिले में निवासरत प्रत्येक नागरिक को व्यक्तिश: तामील कराया जाना संभव नहीं है।
अत: दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (2) के अंतर्गत एक पक्षीय रूप से पारित किया गया है, सार्वजनिक माध्यमों, इलेक्ट्रानिक मीडिया, समाचार पत्रों के माध्यम से यह आदेश सर्व साधारण को अवगत कराया जा रहा है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावशील किया गया है, आदेश का उल्लंघन भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के तहत दण्डनीय होगा।
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उल्लेखनीय है उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास दमोह के प्रतिवेदन में लेख किया गया है कि वर्तमान में गेंहू की फसल कटाई का कार्य किसानों द्वारा कम्बाईन्ड हार्वेस्टर से कराया जा रहा है, कृषकगण फसल कटाई उपरांत बचे हुये गेंहूं के डंठलों (नरवाई) को भूसा न बनाकर जला देते है, भूसे की जिले में मांग ज्यादा है, जिले में पर्याप्त भूसा न होने की स्थिति में किसान पशुओं ऐरा प्रथा के रूप में छोड़ देते है तथा पशु आहार के साथ पॉलीथिन बगैरह खाते रहते है, नरवाई जला देने से भूसा की कीमत भी बहुत बढ़ जाती है, नवाई जलाने से किसानों के खेतों में आगजनी की घटना घटित होने की संभावना रहती है।
नरवाई जलाने से जनधन-प्राकृतिक संपत्ति नष्ट होने के साथ-साथ खेत की मिट्टी की प्राकृतिक दशा भी बदलती है। मिट्टी के सूक्ष्म जीवाणु नरवाई में मर जाते है, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
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