MP NEWS : मध्य प्रदेश बीजेपी में जमकर उथल-पुथल मची हुई है। कर्नाटक चुनाव का असर मध्य प्रदेश में साफ़ तौर पर दिखने लगा है। उमस के साथ ही राजनीतिक तापमान भी बढ़ने लगा है। वहीं जानकारों का मानना है कि अगले पंद्रह दिन में मध्य प्रदेश की राजनीति में एक साथ कई बदलाव हो सकते हैं।
इसी उथल-पुथल के बीच आज 26 मई, शुक्रवार को दोपहर में जबर्दस्त अफवाह उड़ी कि केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को वीडी शर्मा की जगह एमपी बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया गया है। इस अफवाह के उड़ते ही सोशल मीडिया पर बधाइयों का दौर चल पड़ा। आपको बता रहा है कि अभी तक पटेल को अध्यक्ष नहीं बनाया गया है।
भोपाल के प्रदेश बीजेपी मुख्यालय में बीजेपी की एक बड़ी बैठक चल रही थी, जिसमें प्रहलाद पटेल मौजूद नहीं थे। शुक्रवार को पटेल जबलपुर में थे। इस बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, बीजेपी प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, हितानंद शर्मा जैसे तमाम पदाधिकारी मौजूद थे।
असल में 24 मई, बुधवार को प्रहलाद सिंह पटेल, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ अचानक स्पेशल प्लेन से भोपाल शिवराज सिंह चौहान से मिलने पहुंचे थे। इसके बाद से ही ऐसे कयास लगाए जाने लगे थे कि प्रदेश में कोई बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम होने वाला है। इस मुलाकात के बाद पटेल ने एक ट्वीट कर दिया था।
जिसमें उन्होंने लिखा था- मैं अपने पुराने मित्रों और अग्रजों सर्वश्री शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने मेरी इस मन: स्थिति से उबारने और सक्रियता के लिए एक पुराना प्रयोग कर संबल दिया। संघर्ष के समय में आपस के प्रेम और विश्वास का अहसास हुआ। इस ट्वीट के बाद राजनीतिक बदलाव की खबरें और भी ज्यादा तेज हो गई थीं।
आपको बता दें मंगलवार को सागर जिले में मंत्रियों के वर्चस्व की लड़ाई सार्वजनिक हुई थी। इसमें लोक निर्माण विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव, राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और दो विधायकों ने नगरीय आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह की शिकायत की थी। इस शिकायत के बाद बुधवार को अचानक मुख्यमंत्री निवास पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर और भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बैठक की थी।
वहीं भाजपा के आंतरिक सर्वे ने पार्टी की नींद उड़ा दी है। सर्वे में सामने आया है कि मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लीडरशिप में अगर चुनाव हुये तो 70 से 75 से अधिक सीटें नहीं आयेंगी और पार्टी की हार बहुत ख़राब हो सकती है। यानी कर्नाटक की तरह ही एंटी इनकंबेंसी फैक्टर काम करने वाला है।