दमोह में डेढ़ माह कि कुपोषित आदिवासी बच्ची की मौत के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की सेवा समाप्त की गई।

Damoh Today News : दमोह ज़िले के तेंदूखेड़ा ब्लाक अंतर्गत आने वाले घुटरिया गांव में कुपोषण से एक डेढ़ वर्ष की बच्ची की मौत के मामले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की बड़ी लापरवाही सामने आई है। इसके बाद उसकी सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। वहीं इसके साथ ही सुपरवाइजर और सीडीपीओ को शोकाज नोटिस जारी किया है। जानकारी के मुताबिक़ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा घर पर ही बैठकर मासूम बच्चों की फर्जी नापतोल कर उनकी जानकारी रिकार्ड में चढ़ाती रही और इसी बीच कुपोषण से 18 माह की बच्ची की मौत हो गई, बच्ची का भी वजन महज पांच किलो था और खून की भी कमी थी।
क्या हैं पूरा मामला :
तेंदुखेड़ा ब्लॉक के ग्राम घुटरिया निवासी नारायण आदिवासी की 18 माह की बेटी दुर्गा की दिनाक 5 मई को अचानक तबीयत खराब हो गई जिसे स्वजन उसे तेंदूखेड़ा स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकता नहीं आई। एनसीआर तेंदूखेड़ा में बच्ची को अमवाही गांव की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता संध्या शर्मा के माध्यम से भर्ती कराया गया, लेकिन हालत ज्यादा गंभीर होने के कारण उसे दूसरे दिन जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया जहां सोमवार को उसकी मौत हो गई थी। डाक्टरों के अनुसार बच्ची का वजन कम था और उसे खून की कमी थी। उल्टी, दस्त से भी मासूम पीड़ित थी इसके चलते उंसकी मौत हो गई। बाद में कलेक्टर के निर्देश पर पूरी मामले की जांच हुई और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दोषी पाई गई, इसके बाद उसकी सेवा समाप्त कर दी गई है।
इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने ग्राम घुटरिया पहुंचकर मामले की जानकारी ली। वहीं, मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष मनोहर ममतानी ने अति कुपोषित बच्ची की मौत का मामला संज्ञान में आने के बाद संबंधितों से इसका जवाब मांगा था। पर्यवेक्षकों द्वारा तैयार किए गए प्रतिवेदन के आधार पर परियोजना अधिकारी ने ज़िला कलेक्टर मयंक अग्रवाल के निर्देश पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भानु आदिवासी की सेवाएं तत्काल समाप्त कर दी हैं।
मध्य प्रदेश में क्या हैं कुपोषण का आंकड़ा :
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (5) के मुताबिक मध्य प्रदेश में 19 प्रतिशत बच्चे अल्प पोषित (मध्यम कुपोषित) और 6.5 प्रतिशत बच्चे अति गंभीर (तीव्र) कुपोषित हैं. हालांकि,राज्य में कितने बच्चे कुपोषित हैं, इसके आंकड़ों में घालमेल है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (5) के अनुसार मध्य प्रदेश में 19 प्रतिशत बच्चे अल्प पोषित (लंबाई के अनुसार कम वजन) है, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार केवल 3.93 प्रतिशत बच्चे ही कुपोषित हैं. मध्य प्रदेश में कुपोषण की एक बड़ी वजह पोषण आहार घोटाला भी माना जाता है, जिसे लेकर हाई कोर्ट भी टिप्पणी कर चुका है।