मलैया के सपोर्ट में उतरे पूर्व गृहमंत्री, कहा ‘बनाया गया बलि का बकरा’ पार्टी कि रणनीति पर उठाए सवाल
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वरिष्ठ बीजेपी नेता हिम्मत कोठारी |
दमोह। दमोह उपचुनाव में बीजेपी को मिली करारी हार के बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल सा आ गया हैं, खासकर जयंत मलैया को दिए गए नोटिस और उनके बेटे सिद्धार्थ मलैया और 5 मंडल अध्यक्षों पर पार्टी से निष्कासित की कार्रवाई के बाद भाजपा में भी बगावत शुरू हो गई है। जहां दमोह में उनके समर्थकों और सहयोगियों के द्वारा इस कार्यवाई का खुलकर विरोध किया जा रहा है। वहीं प्रदेश भाजपा के नेता ही इस कारवाई पर सवाल उठा रहे हैं।
प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री रहे और वर्तमान भाजपा विधायक अजय विश्नोई ने ट्वीट करके हार के जिम्मेदारों से सवाल पूछा है। वहीं इसी बीच अब पूर्व गृहमंत्री एवं राज्य योजना आयोग के पूर्व अध्यक्ष रह चुके, भाजपा के वरिष्ठ नेता हिम्मत कोठारी भी अब जयंत मलैया के पक्ष में आए हैं।
मलैया को बनाया बलि का बकरा:
दरासल बीजेपी के वरिष्ठ नेता हिम्मत कोठारी
ने जयंत मलैया खिलाफ कि गई कार्रवाई को गलत ठहराते कहा कि समीक्षा बैठक ईमानदारी से तथ्यों के आधार पर होनी चाहिए, उन्होने कहा कि मलैया का परिवार जनसंघ के जमाने से काम कर रहा है। उनको नोटिस देना किसी को बलि का बकरा बनाने जैसा है।
राहुल लोधी पर साधा निशाना:
हिम्मत कोठारी ने राहुल लोधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें बीजेपी में लेने की और टिकिट देने आखिर क्या वजह थी। पार्टी ने उन्हें निगम का चेयरमैन बनाकर मंत्री का दर्जा क्यों दे दिया। कोठारी ने अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लाए गए दलबदल कानून का हवाला देते हुए कहा कि आज उस कानून का कोई औचित्य नहीं बचा है।
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उन्होने साफ तौर पर कहा कि आज के समय में सौदेबाजी से दलबदल हो रहा है। उन्होने कहा कि जब कोई हमारी पार्टी से किसी दूसरी पार्टी में जाता है तो हम उसे गद्दार मानते हैं, तो फिर किसी दूसरी पार्टी से अपने यहां आने वाले को सही कैसे मान सकते हैं।
कोठारी ने अपनी पार्टी कि रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी वही अच्छी होती है जो एक पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी को तैयार करे, परिवारवाद नहीं आए। उन्होने कहा कि जब हम दूसरी पीढी़ के लोग थे तो हमारे वरिष्ठों ने हमें तैयार किया है। हमारे सामने शिवराज जी, नरेंद्र तोमर जी की तीसरी पीढ़ी आई और हमने तीसरी पीढ़ी के नेतृत्व में भी काम किया। उन्होने कहा कि फिर क्या कारण है कि हमारी उपेक्षा हो रही है। हमें कोई पद नहीं चाहिए, लेकिन तीसरी पीढ़ी को पूरी तरह उपेक्षित कर दिया गया है। पार्टी के मंच पर केवल नेताओं के भाषण ही होते हैं। वहां कार्यकर्ता को बोलने तक का अवसर नहीं मिलता है तो कार्यकर्ता कहां बोलेगा।