मध्य प्रदेश में पास हुआ लवजिहाद के खिलाफ़ कड़ा कानून,धर्मांतरण करने वालो की ख़ैर नहीं

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भोपाल। Freedom of Religion Bill, 2021 Passed in MP: यूपी के बाद अब मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में भी लव जिहाद (Love Jihad) पर लगाम लगाने के लिए सोमवार को ‘मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2021’ (Freedom to Religion Ordinance) को विधानसभा में पारित किया गया है। राज्य में इस विधेयक (Bill) को राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद लागू किया जाएगा। इसके तहत जबरन धर्म परिवर्तन कराने वालों को पांच साल से लेकर 10 साल तक की जेल हो सकती है।


आपको बता दें कि प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) ने एक मार्च को इस विधेयक को सदन में पेश किया था और सोमवार को चर्चा के बाद इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

क्या हैं इस विधेयक में ? :

इस नए कानून के अनुसार, ‘‘अब जबरन, भयपूर्वक, डरा-धमकाकर, प्रलोभन देकर, बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कर विवाह करने और करवाने वाले व्यक्ति, संस्था अथवा स्वयंसेवी संस्था के खिलाफ शिकायत प्राप्त होते ही संबंधित प्रावधानों के मुताबिक आरोपियों के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार के इस कानून का उल्लंघन करने वाली किसी भी शादी को शून्य माना जाएगा। 

क्या होगी सजा और कितना लगेगा जुर्माना? :

इस विधेयक के विभिन्न प्रावधानों के तहत अपना धर्म छिपाकर (कथित लव जिहाद) धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम का उल्लंघन करने पर तीन साल से 10 साल तक के कारावास और 50,000 रुपये के अर्थदण्ड तथा सामूहिक धर्म परिवर्तन (दो या अधिक व्यक्ति का) का प्रयास करने पर पांच से 10 वर्ष तक के कारावास एवं एक लाख रुपये के अर्थदण्ड का प्रावधान किया गया है।

इस अध्यादेश के तहत किसी भी व्यक्ति द्वारा अधिनियम का उल्लंघन किए जाने पर एक साल से पांच साल तक का कारावास और 25,000 रुपये का जुर्माना लगेगा। साथ ही नाबालिग, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मामले में दो से 10 साल तक का कारावास और कम से कम 50,000 रुपये का अर्थदंड लगाने का प्रावधान किया गया है।

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इस विधेयक में स्वेच्छा से धर्म संपरिवर्तन करने वाले व्यक्ति अथवा उसका धर्म संपरिवर्तन कराने वाले धार्मिक व्यक्ति द्वारा जिला दंडाधिकारी को 60 दिन पहले सूचना दिया जाना अनिवार्य किया गया है।

धर्म परिवर्तन कराने वाले धार्मिक व्यक्ति द्वारा जिला दंडाधिकारी को धर्म संपरिवर्तन के 60 दिन पूर्व सूचना नहीं दिए जाने पर कम से कम तीन वर्ष तथा अधिकतम पांच वर्ष के कारावास तथा कम से कम 50,000 रुपये के अर्थदंड का प्रावधान किया गया है। यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक बार इस अधिनियम का उल्लंघन करते हुए पाया गया, तो उसे पांच से 10 साल तक के कारावास का सामना करना पडे़गा। अधिनियम में कार्रवाई के लिए धर्मांतरण (Conversation) के लिए बाध्य किए गए पीड़ित व्यक्ति अथवा उसके माता-पिता या भाई-बहन अथवा अभिभावक शिकायत कर सकते हैं।

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