बक्सवाहा जंगल की कटाई का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट – Save Buxwaha Forest Campaign
भोपाल। मध्य प्रदेश के छतरपुर में बक्सवाहा हीरा खदान (Buxwaha Diamond Mine) के लिए काटे जाने वाले 2.15 लाख पेड़ों को बचाने के लिए मध्यप्रदेश समेत देशभर से एक लाख 12 हजार लोग आगे आए हैं. कोरोना को देखते हुए इन सभी ने फिलहाल सोशल मीडिया पर बक्सवाहा वन बचाओ अभियान (Save Buxwaha Campaign) चलाया है, लेकिन जैसे ही कोरोना का संक्रमण रुकेगा, ये सभी बक्सवाहा पहुंच जाएंगे. जरूरत पड़ने पर वे पेड़ों से चिपके रहेंगे। 9 मई को, देश भर के 50 संस्थानों ने एक वेबिनार तैयार किया है और उसी के लिए रणनीति तैयार की है। बताया जा रहा है इन जंगलों में 3.42 करोड़ कैरेट हीरे दबे होने का अनुमान लगाया गया है जो पन्ना से 15 गुना बताए जा रहे हैं। लेकिन इन हीरों को पाने के लिए वहां लगे बहुमूल्य पेड़ों की बलि देनी होगी जिसके लिए 382.131 हेक्टेयर जंगल खत्म करने की तैयारी की जाने लगी है।
इस बीच, दिल्ली की नेहा सिंह ने भी सर्वोच्च न्यायालय (Supereme Court) में एक याचिका दायर की है जिसे शीर्ष अदालत ने सुनवाई के लिए मंजूरी दे दी है।
दायर याचिका में स्पष्ट किया है कि हीरा खनन हो लेकिन एक भी पेड़ ना काटा जाए इस बड़े जंगल में रहने वाले वन्य प्राणियों को किंचित मात्र भी क्षति नहीं पहुंचने चाहिए , इसके साथ ही याचिका में उल्लेख किया गया है कि जिस क्षेत्र को हीरा खनन के लिए अनुमति दी गई है वह न्यूनजल क्षेत्र है। इसे पानी के लिहाज से डार्क एरिया , अधोरहित क्षेत्र माना गया है यह क्षेत्र पहले से ही कम पानी वाला क्षेत्र है , कंपनी के कार्य के लिए बड़ी मात्रा में इस क्षेत्र से पानी का दोहन किया जाएगा पूरा क्षेत्र ड्राई हो जाएगा। परिणाम स्वरूप आसपास का जल स्तर प्रभावित होगा। वन्य प्राणी प्यासे मारे जाएंगे इन सब तथ्यों को देखते हुए कंपनी का अनुबंध निरस्त किया जाए ।
बिहार में तुलसी और नीम के पौधे लगाने के राष्ट्रव्यापी अभियान से जुड़े डॉ. धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि कोरोना ने ऑक्सीजन के महत्व को उजागर किया है. राष्ट्रीय जंगल बचाओ अभियान से जुड़ी भोपाल की करुणा रघुवंशी ने कहा कि इस अभियान से मध्यप्रदेश के साथ साथ कई राज्यों के लोग भी जुड़े हुए हैं। धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि कोरोना खत्म होते ही अभियान तेज कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 62.64 हेक्टेयर जंगल हीरे की खदान के लिए चिन्हित है। नियम यह है कि यदि 40 हेक्टेयर से अधिक की खनन परियोजना है, तो उसे केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया जाता है। वन विभाग के भूमि प्रबंधन के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील अग्रवाल का कहना है कि प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली है।