दमोह में केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री ने किया सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र सीसीआरटी केंद्र का लोकापर्ण,

ccrt center damoh

दमोह। अपने क्षेत्र का सीसीआरटी सेंटर देश में सघन स्थान प्राप्त करेगा, सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण यह इस संस्था का काम है, इसका उद्देश्य कि हमारे आने वाली पीढ़ी खुशी, सुसभ्य, सार्थक और गुणवान हो, शुरु से ही मन में एक जिज्ञासा आती है, क्या इस लक्ष्य को प्राप्त करने में हम कुछ आगे बढ़ सके। हमारी यह जिम्मेदारी है, हम बच्चों को प्रशिक्षण देकर उन्हें आगे बढ़ा सकते हैं। दमोह इस बात को डिजर्ब करता है, यह उनका अधिकार है, किसी एक जिले में इतनी बड़ी मात्रा में साहित्यकार लेखक हैं, देश में दूसरे नंबर के सबसे पुराने गुरु पूर्णिमा की परंपरा इस जिले के यदि आप एक दृष्टि से देखेंगे तो दमोह श्रेष्ठ हैं।


इस आशय के विचार आज केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल ने सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी ) के लोकापर्ण अवसर पर व्यक्त किये। इस अवसर पर केन्द्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटैल ने विविधता में एकता वृत्त चित्र फिल्म धरोहर-पेना मणिपुर सीडी एवं सीकर, सूर्यदेहा का सूरत और सूरत के हीरे और चम्पावत नामक पुस्तकों का लोकापर्ण किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। कार्यक्रम पश्चात सीसीआरटी के छात्रवृत्ति धारकों द्वारा सांस्कृतिक प्रदर्शन किया ।


 इस अवसर पर केन्द्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद पटैल ने कहा अपनी भूमिका तय करें कि आप कहां खड़े हैं मैं बांट सकता हूं या नहीं बांट सकता हूं यदि मैं नहीं बांट सकता हूं तो उसको गंतव्य के स्थान पर पहुंचा सकता हूं, गतिविधि को चलाने के लिए आप अपनी स्वयं की जिम्मेदारी तय करें। मेरा विश्वास है कि किसी पार्टी ने किसी मंत्री के दबाव में सीसीआरटी ने स्थान का चयन नहीं किया, उन्होंने स्वयं स्थान का चयन किया। उन्होंने कहा इस सांस्कृतिक महत्व को देश-दुनिया जानेगी और जल्दी जानेगी।


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केन्द्रीय राज्यमंत्री पटैल ने कहा सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी ) की अनुमति इसलिए दी थी कि वह मानते थे कि वे उनका अभिमान सीसीआरटी ही है, मुझे लगता है कि मैंने कोई कोशिश तो की, मैं जानता था कि दमोह की सांस्कृतिक विरासत को बचा पाने के लिए छोटा सा प्रयास था। पटैल ने कहा ईश्वर ने मौका दिया है। उन्होंने कहा प्रबुद्धजन, राजनीतिक नेता सामाजिक क्षेत्र में काम करें। आप इस क्षेत्र को नजरअंदाज मत करिए, आपको जीवन इसी में है, आगे आने वाली पीढ़ी को हम संस्कार स्थानांतरित कर पाए, तो भी यह बहुत बड़ी बात है।


उन्होंने कहा 10 से 14 साल के बच्चे संस्कृति के किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, इस आयु वर्ग में कोई मिलता है, तो यह सीसीआरटी 20 साल तक लगातार उनके संरक्षण का कार्य करेगी। सीसीआरटी का मुख्य उद्देश्य अपनी संस्कृति, अनुसंधान और नई पीढ़ी को उसके स्थानांतरण के बारे में कोशिश करें। पटैल ने कहा जब वे दमोह के सांसद बना थे तो यहां की कला, संस्कृति, परंपरागत, संगीत, विचार, लेखन यह 6 चीजें थी जो शीर्ष पर थी। उन्होंने कहा आज स्प्रे जी की 150 वी जंयती है जो हिंदी पत्रकारिता के पिता माने जाते हैं, बकायन की मृदंगम शैली नाना साहब पांसे के नाम पर है, देश की सबसे लंबी चलने वाली गुरु पूर्णिमा की दूसरे नंबर की परंपरा सबसे लंबी परंपरा है। 


उन्होंने कहा संत गुरु जुडीराम, कबीर धर्मा, उमा मिस्त्री या यहां के पुरातत्व की बात करूं तो कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है, जो आज की गतिविधियां यहां पर हैं, वह पूरी तरह से सक्रिय है। उन्होंने कहा इसका उद्देश्य यही है कि 10 से 14 वर्ष के बच्चों प्रतिभाशाली छात्र जिनकी समाज मदद ना कर पाए उनकी हम मदद करेंगे और आने वाले 20 साल तक की गारंटी देते ताकि वह एक प्रतिभा के रूप में पूर्णता स्थापित हो सके, यदि कोई नौजवान है तो उसको 3 साल तक छात्रवृत्ति दी जाती है, जूनियर और सीनियर स्कॉलरशिप ऐसी है जो साहित्यकार कहीं जा नहीं पाता है, डिग्री नहीं कर पाता है लेकिन वह लिखने और अपने विषयों को ऊपर उठाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है, उसका उनको यह बहुत बड़ा अवसर है, दमोह इस बात के लिए योग्य भूमि है, इस नाते यह अवसर दमोह को मिला है, दमोह की भूमि का यह प्रताप है, मैं उसे नमन करता हूं।


सीसीआरटी अध्यक्ष डॉक्टर हेमलता एस मोहन ने कहा संस्कृति मंत्रालय के तत्वाधान में कार्यक्रम पिछले 42  वर्षों से कार्यरत है, सीसीआरटी बच्चों में संख्यात्मक, भावात्मक, आध्यात्मिक, समग्र शिक्षा के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा सीसीआरटी का मुख्यालय दिल्ली में है, पश्चिम में उदयपुर में एक रीजनल ऑफिस है, उत्तर पूर्व में गुवाहाटी और दक्षिण हैदराबाद में और आज यहा दमोह में चौथा रीजनल सेंटर खुल रहा है। उन्होंने कहा सीसीआरटी देशभर के सभी शिक्षकों के लिए सांस्कृतिक पाठ्यक्रम तैयार करती है, जो संस्कृति व शिक्षा को एकसाथ जोड़ती है। उन्होंने कहा शिक्षा यदि संस्कृति से भिन्न है, तो वह शिक्षा पूरी नहीं है और इस क्षेत्र में कला है, उनका भी साथ-साथ समृद्ध, विकास हो यह इस कार्य को भी सुनिश्चित करती है, भारतीय कला संस्कृति के व्यापक शोध प्रबंध को सुगम बनाती है। उन्होंने कहा एक सपना साकार होने जा रहा है, वह सपना था मध्य भारत में एक सीसीआरटी का केंद्र हो, हमारे यशस्वी संस्कृति पर्यटन मंत्री महत्वपूर्ण देन है, मंत्री जी ने बच्चों को सांस्कृतिक शिक्षा सुदूर आखरी बच्चों तक पहुंचे, इसके लिए बड़े शहरों से हटकर सुदूर क्षेत्रों में केंद्र खोले जा रहे हैं, यह उनकी सोच है, जो आज मूल रूप से कार्यरत है, इसके लिए उनका हृदय से आभार।


वरिष्ठ निदेशक सीसीआरटी ऋषि कुमार ने कहा 2019 में हमारी मंत्री जी से पहली मुलाकात हुई, मंत्री जी ने सभी से पूछा किस-किस ने अपने कार्यक्रम की गतिविधियों को दमोह में पहुंचाया है, मुझे बहुत ही गर्व की अनुभूति हुई, कई आध्यात्मिक लोगों को सीसीआरटी से पहले ही संस्कृति के क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया है, साथ ही साथ दमोह के कई प्रतिभाशाली बच्चों को छात्रवृत्ति भी दी गई, आज उनमें से कुछ बच्चे इस कार्यक्रम में मौजूद थे। उन्होंने कहा आज मंत्री जी के मार्गदर्शन और प्रेरणा से सीसीआरटी 42 वर्षों से समृद्ध है, पहली बार हमने चौथे क्षेत्रीय केन्द्र को एक गांव देहात आदिवासी जनजाति का क्षेत्र मे ऑफिस खुल रहा है, अभी तक हमारे क्षेत्रीय केंद्र हैदराबाद, उदयपुर, गुवाहाटी थे, यह मेरा सौभाग्य है मंत्री जी की प्रेरणा से उनके मार्गदर्शन से चौथा केन्द्र आज सीसीआरटी दमोह में आजादी के अमृत महोत्सव में कदम रख रहा है।


इस अवसर पर वेयर हाउसिंग एवं लॉजिस्टिक कॉरपोरेशन अध्यक्ष (केबिनेट मंत्री दर्जा) राहुल सिंह, वरिष्ठ निदेशक सीसीआरटी ऋषि कुमार, सीसीआरटी अध्यक्ष डॉ हेमलता एस मोहन, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी, जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटैल, विधायक जबेरा  धमेन्द्र सिंह लोधी, हटा विधायक पीएल तंतुवाय, सांसद प्रतिनिधि डॉ आलोक गोस्वामी, नरेन्द्र बजाज व रूपेश सेन, पूर्व अध्यक्ष जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक राजेन्द्र गुरू, डॉ रघुनंदन चिले, पुष्पा चिले, पंडित नरेन्द्र दुबे, डॉ प्रेमलता नीलम सहित नगर के अन्य सम्मानीय साहित्यकार, लेखक, सम्मानीय मीडियाजन एवं अन्य जनप्रतिनिधिगण, अधिकारी तथा संस्कृति विभाग दिल्ली-भोपाल से आये अधिकारी मौजूद थे।

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