दमोह के सिंगौरगढ़ क्षेत्र को नेशनल ट्राईबल टूरिज्म हब के रुप में विकसित किया जायेगा : राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द |
दमोह। दमोह जिले के लिये आज का दिन बहुत ही एतिहासिक रहा, सिंगौरगढ़ के किले के संरक्षण कार्य के शिलान्यास और राज्यस्तरीय जनजातीय सम्मेलन में शामिल होने के लिये देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द सिंग्रामपुर पहुंचे। यहां उन्होने पर्यटन की संभावनाओं के बारे में विस्तार से अपने उद्देश्य रखें साथ ही उन्होंने सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण कार्य का व शिलान्यास भी किया। साथ ही उन्होंने कहा कि सिंगौरगढ़ परिक्षेत्र नेशनल ट्राईबल टूरिज्म हब (National Tribal Tourism Hub) के रुप में विकसित किया जा सकता हैै। यह बात भी सिंग्रामपुर में आयोजित राज्यस्तरीय जनजातीय सम्मेलन व सिंगौरगढ़ किले (Singourgarh Fort) के संरक्षण कार्य के शिलान्यास कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने कही।
उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय राज्य मंत्री संस्कृति एवं पर्यटन प्रहलाद पटेल को इस दिशा में प्रयास करें, कि सिंगौरगढ़ किले के संरक्षण के लिये किये जा रहे विकास कार्यों से भविष्य में यह क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि महत्वपूर्ण होगा। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। उन्होने कहा कि चंबल, मालवा, बुन्देलखण्ड, ओर महाकौशल, बघेलखण्ड की विरासतों को सहेजने की दिशा में भी बेहतर कार्य करने की बात कही। उन्होने कहा कि निश्चित तौर पर भारतीय पुरातत्व के जिन 6 मण्डलों का नवनिर्माण किया गया है, यह इस दिशा में सार्थक कार्य करेंगी। साथ ही उन्होने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नये गठित किये जबलपुर मण्डल को भी लोकार्पित किया। इस अवसर पर उन्होने जिले में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने की दृष्टि से 23.16 करोड़ रुपए की राशि के लिए स्वीकृत कार्यों का भी शिलान्यास किया।
इसमें बेलाताल झील में पर्यटन अवसंरचना विकास कार्य होगा। पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए इस परियोजना में पेयजल सुविधाएं, रेन शेल्टर, पार्किंग क्षेत्र, जिम क्षेत्र, योग-स्थल, समारोह के लिए खुला उद्यान, ओपन एयर थिएटर, सीसीटीवी प्रणाली, सोलर पैनल प्रणाली, सूदनियर शॉप, सार्वजनिक सुविधाएं, फूड कोर्ट, कलात्मक पैदल-पय, पानी के फव्वारे, बच्चों के खेलने का क्षेत्र, मार्ग, रसोई सहित बहू-प्रयोजन हाल आदि शामिल हैं। इस परियोजना से स्थानीय रोज़गार पैदा होगा और इस क्षेत्र में पर्यटक आगमन में वृद्धि होगी।
केन्द्रीय राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार संस्कृति एवं पर्यटन प्रहलाद पटेल ने भी संबोधित किया:
कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रदेश की जनजातीय कार्य विभाग कैबिनेट मंत्री मीना सिंह मांडवे ने स्वागत भाषण दिया। इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ने राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त किया, उन्होने कहा कि आज ऐतिहासिक दिन हैं। राष्ट्रपति जी ने आकर विकास की अलख जगाई हैं। केन्द्रीय मंत्री ने आगे कहा कि हम सब मिलकर शहीद रानी दुगार्वती की स्मृति में जून में कार्यक्रम का आयोजन करते है। लेकिन महामहिम ने पहले आकर हम सबको आशीर्वाद दे रहे है। इसके लिए हम सब उनके आभारी हैं।
प्रहलाद पटैल (Prahlad Patel) ने कहा यहा कला संस्कृति का कार्यक्रम होता हैं। जनजातीय क्षेत्रो की जो प्रतिभा है उसकी कोई मिशाल नही हैं। बुंदेलखण्ड अपना समय के साथ नाम बदलता रहा, कभी बुंदेलखण्ड, गोडवाना, महाकौशल, त्रिपुरी राजाओं की भी कर्मभूमि यही बुंदेलखण्ड रहा हैं। पटैल ने कवि ईश्वरी की पंक्ति के बारे में विस्तार से बात रखी। केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री ने कहा कि महामाहिम के आने से हम सब अपना गौरव और मान प्राप्त करेंगे। उन्होंने महामाहिम राष्ट्रपति का स्वागत अभिनंदन एवं माता रानी दुर्गावती के चरणों मे नमन तथा उपस्थित अथितियों का अभिनंदन करते हुये अपनी वाणी को विराम दिया।
इस अवसर पर जनजातीय कार्य विभाग मंत्री मीना मांडवे ने कहा मुझे गर्व है कि महामहिम द्वारा इस कार्यक्रम के लिए सहमति प्रदान की गई। उन्होंने कहा प्रदेश में जनजातीय विभाग गठित हैं, जो जन जातीय वर्गों के आर्थिक एवं सामाजिक विकास हेतु समर्पित हैं। प्रदेश में 52 जिलो में से 21 जिले जनजातीय बहुल्य हैं। लगभग 01 करोड़ 52 लाख जनजातीय वर्ग के लोग प्रदेश मे निवासरत हैं। प्रदेश के जनजातीय बंधुओ की ओर से महामहिम राष्ट्रपति जी का स्वागत करती हूँ। जनजातीय सम्मेलन में उपस्थित होकर आपने हमारा मान सम्मान बढ़ा दिया।