कोरोना महामारी से ज्यादा सामाजिक भेदभाव बना परेशानी की वजह, स्वास्थ्य मंत्रालय जारी कर चुकी हैं एडवाइजरी पर नहीं दिख रहा असर

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प्रतीकात्मक फ़ोटो / साभार – newslaundry.com

कोविड-19 से संक्रमित तमाम लोगों को महामारी से ज्यादा सामाजिक भेदभाव का डर सता रहा है। इसीलिए तमाम लोग संक्रमण के लक्षण होने के बावजूद टेस्ट कराने से बच रहे हैं। देश में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। भारत सरकार ने लोगों को न डरने और सामने आने की सलाह दी है।

सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ पब्लिक हेल्थ के बीते दिनों एक सर्वे किया। इसमें 62 फीसदी ऐसे पाए गए जिन्हें डर था कि उनकी पहचान उजागर हो जाएगी और इससे परिवार व दोस्तों को दिक्कत होगी। इस चिंता से संक्रमण के लक्षणों के बावजूद उन्होंने जांच नहीं कराई। समाज में हीन भावना का होना मरीज़ लोगो के भीतर भ्रम को और मजबूत करता है जिससे लोगों के मानसिक स्थिति पर भुरा प्रभाव पड़ता है।

कोरोना वायरस पर काबू पाने के लिए डॉक्टर्स, मेडिकल स्टॉफ, तमाम सरकारी महकमा और पुलिसकर्मी मोर्चे पर डटे हुए हैं. इस बीच, कोरोना वायरस पीड़ितों और उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों और अन्य को लेकर भेदभाव की कई खबरें सुर्खियों में रही हैं. इसी को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक नई एडवाइजरी जारी कर चुकी हैं जिसमें भेदभाव को खारिज करने की सलाह दी गई थी परन्तु इसका असर लोगो पर नहीं पढ़ रहा है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्या कहा था एडवाइजरी में?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसे लोगों से भेदभाव न करने की कई बार अपील की है। पड़ोसियों-करीबियों के लिए सलाह…

1.साफ कहा है कि भारत में कोरोना से संक्रमित लोगों का नाम उजागर नहीं किया जा रहा है। 
2.करीबियों से अपील, मरीजों और उनके परिवार के सदस्यों का तिरस्कार न करें, उनका सहयोग करें
3.कोरोना वायरस से ठीक होकर घर लौटे लोगों का मनोबल बढ़ाएं, उनसे दूरी न बनाएं
4.संक्रमण से प्रभावित लोगों के नाम, उनकी पहचान, उनके घर का पता सोशल मीडिया पर साझा न करें।
5.जो लोग संक्रमण से स्वस्थ हो गए हैं, उनके बारे में सकारात्मक बातें लोगों को बताएं ताकि उनमें डर खत्म हो।
6.कोरोना संक्रमण के फैलाव के लिए किसी समुदाय या किसी इलाके को जिम्मेदार न ठहराएं।
7.जिनका उपचार चल रहा है उन्हें संदिग्ध के रूप में नहीं बल्कि कोरोना को हराने वाले के रूप में देखें।

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