एमपी: स्कूलों में जबरन प्रार्थना नहीं होंगी, छात्रों पर नहीं बना सकते दबाव जारी हुई गाइड लाइन
भोपाल। मध्यप्रदेश में 18 दिसंबर से शुरू हो रहीं कक्षा दसवीं और बारहवीं की क्लास के लिए प्रार्थना आदि नहीं होंगी। बच्चों को स्कूल आने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। इसके लिए बच्चो के अभिभावकों की अनुमति जरूरी होगी। एक बार अनुमति देने के बाद यह पूरे सत्र के लिए मान्य होगी।
इस संबंध में मंगलवार दोपहर में मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग के उप सचिव प्रमोद सिंह ने गाइड लाइन (SOP) भी जारी कर दी है। कोरोना संक्रमण की समीक्षा के बाद आठवीं तक की कक्षाओं पर फैसला लिया जाएगा।
ये हैं नई गाइड लाइन:
गृह मंत्रालय भारत सरकार की गाइड लाइन 30 सितंबर को जारी करने के बाद प्रदेश में 28 नवंबर को इस संबंध में आदेश जारी किए गए। बोर्ड की परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए कक्षा 10वीं और 12वीं की कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए स्कूल नियमित रूप से पूरे निर्धारित समय के लिए संचालित रहेंगे।
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विद्यार्थियों को इस तरह बुलाया जाएगा की विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या एक साथ अधिक ना हो, ताकि SOP का पालन किया जा सके।
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विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य नहीं होगी। यह माता-पिता अभिभावकों की सहमति पर ही निर्भर होगा।
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माता-पिता या अभिभावकों द्वारा एक बार दी गई सहमति पूरे सत्र के लिए मान्य होगी।
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कक्षा 11वीं एवं 12वीं के लिए विद्यार्थियों की संख्या एवं उपलब्ध अध्यापन कक्ष के आधार पर प्राचार्य द्वारा स्थानीय स्तर पर कक्षाओं के संचालन के संबंध में निर्णय लिया जा सकेगा।
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समय-समय पर जारी विभागीय आदेश के अनुसार ऑनलाइन पढ़ाई भी जारी रहेगी, जो विद्यार्थी इस माध्यम से पढ़ना चाहते हैं, उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जाए।
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प्रदेश के स्कूलों में शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाफ पूरी तरह उपस्थित रहेंगे।
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छात्रावास एवं आवासीय विद्यालय के छात्रावासों को खोले जाने की अनुमति नहीं होगी। आवासीय विद्यालय डे-स्कूल रूप में खोले जा सकेंगे।
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विद्यालय में प्रार्थना, सामूहिक गतिविधियां, खेलकूद एवं स्वीमिंग पूल आदि गतिविधियां पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेंगी।
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किसी भी परिस्थिति में छात्र एक स्थान पर जमा न हों इसके लिए विशेष निगरानी रखी जाना अनिवार्य है।
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छात्रों को लाने ले जाने वाले वाहनों को सैनिटाइज किए जाने से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए जाना अनिवार्य होगा।