आख़िर क्यों महत्व रखता है बीजेपी और कांग्रेस के लिए दमोह का ये उपचुनाव?
दमोह। Damoh By Election 2021: दमोह विधानसभा क्रमांक (55) सीट पर चुनाव आयोग की घोषणा के बाद से ही ये उपचुनाव राज्य की सियासत में महत्वपूर्ण विषय बना हुआ है, यही कारण है कि इस उपचुनाव पर सबकी नजर टिकी हुई है। विशेषकर यह चुनाव सत्ताधारी दल भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों के लिए अहम माना जा रहा है।
वही इस उपचुनाव की वजह तत्कालीन कांग्रेस विधायक राहुल सिंह लोधी का बीजेपी में शामिल होना और बीजेपी का लोधी को उम्मीदवार बनाया जाना है, तो वहीं कांग्रेस ने अजय टंडन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
भाजपा इस चुनाव को गंभीरता से ले रही है, क्यों कि बीते दिनों दमोह (Damoh) को मेडिकल कॉलेज (Medical College) सहित अन्य सौगातें दी गईं हैं। भाजपा भी इस बात को जान रही है कि अगर मलैया ने साथ नहीं दिया तो ज्यादा मेहनत करनी होगी, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस यह मानकर चल रही है कि यह चुनाव उसके लिए एक बड़ी संजीवनी देने वाला होगा।
हालांकि राहुल लोधी स्थानीय तौर पर उतने लोकप्रिय नहीं हैं और मलैया दमोह के दिग्गज नेता हैं, ऐसे में लोधी की राह इतनी आसान नहीं होगी मलैया 1990 और 2013 के बीच छह बार यह सीट जीत चुके हैं। वहीं मलैया के बेटे सिद्धार्थ भी टिकट की दावेदारी में शामिल थे। वहीं इस बात की भी चर्चा है कि सिद्धार्थ मलैया निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं।
जयंत मलैया 2018 में कांग्रेस के राहुल लोधी से करीब 800 वोटों से हार गए थे, राहुल लोधी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले कुल 26 लोगों में आखिरी शख्स थे, वही 25 लोगों को नवंबर, 2020 में हुऐ प्रदेश के उपचुनाव का टिकट देकर ईनाम दिया गया था।
वहीं जानकार इस उपचुनाव (By Election) को केंद्रीय मंत्री एवं दमोह से सांसद प्रह्लाद सिंह पटेल और जयंत मलैया के बीच का मान रहें हैं। शिवराज सरकार की कैबिनट में शामिल मंत्री भूपेंद्र सिंह को दमोह विधानसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया है। कई लोग उन्हें मलैया का विरोधी मानते हैं
जिस तरह दमोह में भाजपा का एक निश्चित वोटबैंक है, वहीं कांग्रेस का भी रहा हैं, दमोह ज़िला बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है और आगामी चुनावों में भी जाति ही एक प्रभावी फैक्टर होगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दमोह उपचुनाव लोधी या मलैया (Malaiya) के करियर को फिर से पुनःर्जीवित करेगा, या किसी नए नेता को जन्म देगा।