LIC के निजीकरण को मोदी सरकार ने दिखाई हरी झंडी जानें अब क्या होगा?

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नेशनल डेस्क। कोरोना संकट और खराब अर्थव्यवस्था के बीच केंद्र सरकार ने देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC (Life Insurance Corporation) एलआईसी के विनिवेश को मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में बनी एक समिति एलआईसी में हिस्सेदारी बिक्री की मात्रा तय करेगी, उसके बाद इसे बेचा जाएगा। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है, 1 लाख करोड़ सार्वजनिक क्षेत्र एवं संस्थानों में सरकार की हिस्सेदारी कम करके जुटाए जाएंगे।

वही वित्त वर्ष 2019-20 में एलआईसी का टोटल असेट 32 लाख करोड़ रुपए थे, डोमेस्टिक इंश्योरेंस सेक्टर में एलआईसी का मार्केट शेयर (Market Share) सबसे ज्यादा यानि 70 फीसदी के करीब है। इस वक्त तक सरकार के पास कंपनी की 100 फीसदी हिस्सेदारी थी, अब चूंकि मोदी सरकार निजीकरण (Privatization) पर फोकस कर रही है, ऐसे में ये लगातार कम होती चली जाएगी।

एक अधिकारी ने बताया कि एलआईसी का आईपीओ (IPO) चालू वित्त वर्ष के अंत तक लाया जा सकता है। एलआईसी आईपीओ के निर्गम आकार का 10 प्रतिशत तक पॉलिसीधारकों के लिए आरक्षित रखा जाएगा। प्रस्तावित आईपीओ के लिए सरकार पहले ही एलआईसी कानून में जरूरी विधायी संशोधन कर चुकी है। डेलॉयट और एसबीआई कैप्स को आईपीओ पूर्व सौदे का सलाहकार नियुक्त किया गया है।

एलआईसी कानून में बजट संशोधनों को अधिसूचित कर दिया गया है और बीमांकिक कंपनी जीवन बीमा कंपनी के अंतर्निहित मूल्य (underlying value) को अंतिम रूप देगी। अंतर्निहित मूल्य के तहत बीमा कंपनी के भविष्य के मुनाफे के मौजूदा मूल्य को उसके मौजूदा शुद्ध संपत्ति मूल्य में शामिल किया जाएगा। अधिकारी के मुताबिक़ मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने पिछले सप्ताह एलआईसी के आईपीओ के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। ‘‘विनिवेश पर वैकल्पिक व्यवस्था द्वारा सरकार द्वारा हिस्सेदारी बिक्री की मात्रा तय की जाएगी।

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