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नई दिल्ली। दमोह ज़िले के पथरिया विधानसभा से बसपा विधायक रामबाई और उनके पति गोविंद सिंह परिहार को आज़ गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। विधायक रामबाई के पति को जमानत देने से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने साफ इंकार कर दिया है। कोर्ट ने यह माना कि आरोपी को न्याय प्रशासन के लोग ही बचाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी की वजह से निष्पक्ष सुनवाई के लिए शीर्ष न्यायालय ने बीजेपी विधायक रामबाई सिंह के पति गोविंद सिंह को दूसरी जेल में शिफ्ट करने के भी निर्देश दिए थे।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से आरोपी गोविंद सिंह को दिए गए बेल के आदेश को भी खारिज करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने कानूनी सिद्धांतों को गलत तरीके से लागू किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कि तल्ख़ टिप्पणी:
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि देश में ताकतवर लोगों के लिए अलग कानून नहीं होगा। इतना ही नहीं शीर्ष अदालत ने विधायक रामबाई के पति को जमानत देने वाले हाईकोर्ट के फैसले की भी कड़ी निंदा की। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत के जजों को सुरक्षा देने की जरूरत है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी उस संदर्भ आई है, जिसके तहत इस मामले की सुनवाई कर रहे एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उनको अपनी सुरक्षा को लेकर डर है। निचली अदालत ने भी विधायक पति सिंह की जमानत खारिज कर दी थी।
उल्लेखनीय है कि बसपा विधायक रामबाई (BSP MLA Rambai) का पति गोविंद सिंह हत्या के मामले में मुख्य आरोपी है। उस पर कांग्रेस पार्टी के नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या का आरोप है। हाईकोर्ट से जमानत पर बाहर हुए गोविंद सिंह को अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत खारिज करने के चलते फिर जेल में जाना पड़ा था।
बेंच ने कहा कि बेल रद्द करने से यह साबित होता है कि हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देने में बड़ी चूक की है। शीर्ष न्यायालय ने सत्र न्यायालय के अतिरिक्त जज की ओर से जाहिर की गई चिंताओं का निपटारा एक महीने के अंदर करने के भी आदेश दिए। सेशन कोर्ट के एडिशनल जज ने 8 फरवरी को दिए अपने आदेश में इस बात का जिक्र किया था कि उन पर दामोह के एसपी और उनके अंदर काम कर रहे पुलिसकर्मी दबाव बना रहे हैं।
इसी साल 28 मार्च को फरार चल रहे गोविंद सिंह को गिरफ्तार किया गया था। यह गिरफ्तारी इसलिए भी चर्चा में थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश पुलिस के डीजी को यह डेडलाइन दी थी कि 5 अप्रैल तक गोविंद सिंह को किसी भी कीमत पर गिरफ्तार किया जाए नहीं तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मध्य प्रदेश डीजीपी ने कोर्ट को बताया था कि आदेश के बावजूद पुलिस गोविंद सिंह को पकड़ नहीं पा रही। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि न्याय व्यवस्था के अंदर ही कुछ लोग आरोपी को बचाने की कोशिश कर रहे थे। बता दें कि शीर्ष न्यायालय का यह आदेश कांग्रेस नेता चौरसिया के बेटे सोमेश की याचिका पर आया। याचिका में कहा गया था कि कई हत्याओं में शामिल होने के बावजूद गोविंद सिंह बेल पर बाहर है।