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नेशनल डेस्क। कभी मध्यप्रदेश तो कभी उत्तरप्रदेश में इन दिनों चर्चाओं का बाजार गर्म है। चर्चा मुख्यमंत्री को बदलने की चर्चा मुख्यमंत्री से केंद्रीय नेतृत्व की नाराज़गी। बीते एक महीने से पार्टी पदाधिकारियों, संघ पदाधिकारियों, नेताओं और मंत्रियों के बैठकों का दौर जारी है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा था की बीजेपी आने वाले उत्तरप्रदेश के चुनाव को लेकर कोई बड़ा फ़ैसला ले सकती (मुख्यमंत्री को बदलकर) हालांकि ऐसा नहीं हुआ इसके विपरित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कल 11 जून को दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने पहुंचे। अपने पार्टी के शीर्ष नेताओं से योगी की इस भेंट को लेकर एक नया विषय निकल कर आया। विषय हैं यूपी के विभाजन का! कुछ अखबारों और न्यूज वेबसाइट्स ने सूत्रों के हवाले से खबर छापी है कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा नेतृत्व उत्तर प्रदेश का विभाजन कर अलग पूर्वांचल राज्य बनाने पर विचार कर रहा है।
इस ख़बर को लेकर चारों और खबरें फैल गई की यूपी का विभाजन होना अब तय है हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। जब ऐसी खबरें निकल कर आ रही हो। यूपी में हर चुनाव से पहले इस प्रकार की खबरें निकल कर आती है कि बीजेपी अब प्रदेश का बंटवारा कर देगी। परन्तु इस बार परिस्थिति कुछ और है बड़ी बैठकों और गुप्तवार्ता के चलते दौर को लेकर चर्चा होना स्वाभाविक है।
इनमे मुख्यरूप से इन प्रशनो का उत्तर हर कोई जानना चाहता है। “क्या होने वाले हैं उत्तर प्रदेश के टुकड़े? क्या केंद्र और राज्य में बन गई बटवारें की सहमति? क्या विधानसभा चुनाव से पहले यूपी हो जाएगा विभाजित? पीएम और गृहमंत्री से योगी की मुलाकात में क्या बात हुई? राष्ट्रपति के साथ भी सीएम योगी की मुलाकात के क्या है मायने?”
ख़बरों में मुख्यरूप से मंत्रणा की गई कि प्रदेश के बंटवारे को लेकर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने पहुंचे तो फिर सूत्रों से खबर निकल कर सामने आई कि राज्य के पुनर्गठन को लेकर बातचीत चल रही है और उत्तर प्रदेश का अब बंटवारा होगा। इस खबर के सामने आते ही सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा भूचाल देखने को मिला और तरह-तरह के दावे किए जाने लगे।
कुछ लोग बंटवारे के फैसले को सही ठहराने लगे तो कुछ लोग इस खबर के बाद सरकार पर निशाना भी साधने लगे। ऐसे में जब इस ख़बर पर हमारी टीम की नजर पड़ी तो हमने भी सच्चाई जानने की कोशिश की और यह भी जानने की कोशिश की कि क्या वाकई उत्तर प्रदेश के बंटवारे की पुरानी मांग अब पूरी होने वाली है? इसमें जो सच्चाई निकल कर सामने आई उसने हर किसी को चौंका दिया तो ऐसे में उत्तर प्रदेश के सियासी हालात काफी गहमा गहमी वाले दिख रहे हैं। ऊपर से उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों काफी गतिविधियां देखने को भी मिल रही है।
विधानसभा चुनाव में 8 महीने का समय बचा है। ऐसे में विपक्षी पार्टियों को ज्यादा सक्रिय होना चाहिए, लेकिन इसके उलट सत्ताधारी पार्टी में ज्यादा हलचल है। इस सब के बीच तमाम तरह की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। वहीं कुछ अखबारों और न्यूज वेबसाइट ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी नेतृत्व उत्तर प्रदेश का विभाजन कर अलग पूर्वांचल राज्य बनाने पर विचार कर रही है।
जब अलग पूर्वांचल राज्य की खबर सामने आई तो फिर इतिहास के पन्नों को पलट कर देखना शुरू कर दिया गया। आपको बता दें कि बीजेपी हमेशा से छोटे राज्यों की पक्षधर रही। अटल बिहारी वाजपेई की सरकार के समय ही मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड और बिहार से अलग होकर झारखंड बना था।
यूपी में अलग पूर्वांचल राज्य का मुद्दा नया नहीं है। इससे पहले नवंबर 2011 में तत्कालीन मायावती सरकार ने उत्तर प्रदेश पूर्वांचल, बुंदेलखंड और पश्चिमी प्रदेश और अवध प्रदेश में बांटने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित करवाकर केंद्र को भेजा था, लेकिन केंद्र ने राज्य के इस प्रस्ताव को वापस कर दिया था। इस प्रस्ताव के मुताबिक पूर्वांचल में 32 पश्चिम प्रदेश में 22 अवध प्रदेश में 14 और बुंदेलखंड में 07 जिले शामिल होने थे। आज जो खबरें चल रही है उसमें दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के 3 राज्यों में बटेगा। एक होगा उत्तर प्रदेश जिसकी राजधानी लखनऊ होगी जिसमे 20 जिले शामिल होगें। यूपी के बंटवारे के बाद दूसरा राज्य बनेगा। बुंदेलखंड जिसकी राजधानी प्रयागराज होगी, इसमें 17 जिले शामिल होंगे। तीसरा राज्य होगा पूर्वांचल जिसमे 23 जिले शामिल होंगे और इसकी राजधानी गोरखपुर होगी।
1955 में आई किताब थॉट्स एंड लिंग्विस्टिक स्टेट्स में डॉ. अंबेडकर ने भाषायी आधार पर राज्यों के विभाजन पर अपने विचार व्यक्त किए. इसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश के तीन टुकड़े किए जाने की बात कही. प्रशासकीय कुशलता, राजव्यवस्था पर इतने बड़े राज्य के असमान प्रभाव को घटाने और छोटे राज्यों में अल्पसंख्यकों के हित को भी उन्होंने बंटवारे का आधार बनाया था।
ऐसे में यह भी जानना जरूरी है कि आखिर यूपी विभाजन की बात पर इतना जोर क्यों दिया जा रहा है। दरअसल सीएम योगी आदित्यनाथ ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। ऐसे में सवाल उठा कि गृह मंत्री से इस वक्त मिलने का क्या औचित्य है। ऐसे में आपको बता दें किसी भी राज्य के बटवारें में केंद्रीय गृह मंत्रालय की भूमिका अहम होती है साथ ही उस राज्य के राज्यपाल की गोपनीय रिपोर्ट केंद्र को भेजकर राज्य की कर बंटवारे की संस्तुति कर सकते है। बटवारें का प्रस्ताव राज्य के दोनों सदनों विधानसभा और विधान परिषद से पास करवा कर केंद्र को भेजना होता है। लिहाज़ा विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका भी जरूरी है। अब ऐसे में योगी के अमित शाह से मुलाकात को प्रदेश के बंटवारे से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं मौजूदा वक्त की स्थितियों का आकलन करें तो उत्तरप्रदेश के बंटवारे को लेकर जो खबरें चल रही है, उसका कोई सरकारी प्रमाण नहीं मिलता क्योंकि किसी भी केंद्रीय मंत्री है। किसी भी बीजेपी नेता ने इस मामले पर अभी कोई बयान नहीं दिया है। वहीं दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव का वक्त है ऐसे में लोगों का तर्क है की बीजेपी ज्यादा से ज्यादा समर्थन हांसिल करने के लिए प्रदेश का बंटवारा करना चाहती है।
किसी राज्य के बंटवारे की प्रक्रिया बेहद लंबी होती है। संविधान का अनुपालन करते हुए तमाम तरह के दस्तावेजी करण संबंधित कार्य पूरे करने होते हैं। इसकी तैयारी में वक्त लगता है जानकारों की मानें तो 6 जून को यूपी प्रभारी राधा मोहन ने लखनऊ में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से मुलाकात की। हालांकि पार्टी ने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया। जानकारों का कहना है तो यूपी प्रभारी का राज्यपाल या विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात करना किसी प्रोटोकॉल का हिस्सा तो नहीं होता।
राधा मोहन सिंह ने लखनऊ में जिन 2 लोगों से मुलाकात की है। राज्य के बंटवारे में उनकी भूमिका अहम होती है। ऐसे में सुबह से सोशल मीडिया पर यूपी के बंटवारे का दावा किया जा रहा है। लेकिन इसको लेकर कोई सरकारी है। आधिकारिक बयान नहीं और मीडिया हलचल भी इस पर मोहर नहीं लगाता कि बंटवारा होने वाला है या नहीं, लेकिन जो सोशल मीडिया पर तैर रहा है उसको एक जानकारी के तौर पर। हम आपके सामने पेश कर रहे हैं। अगर उत्तर प्रदेश का बंटवारा होता है तो फिर केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों मिलकर जो भी फैसला लेगी वह सबके सामने आ जाएगा। देर सबेर कभी कोई न कोई इस फैसले को सार्वजनिक करेगा ही करेगा लेकिन मौजूदा वक्त में बटवारा हो रहा है। ऐसा जो दावा किया जा रहा है, इसमें सच्चाई कम दिखाई और कयास बाजी ज्यादा लगती है।