चुनाव से पहले कांग्रेस को लगा एक और बड़ा झटका, भाजपा में शामिल हुए सतीश नायक!

satish nayak join bjp

दमोह। दमोह में कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। दरासल दिग्विजय सिंह सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे मुकेश नायक के भाई और पूर्व जनपद अध्यक्ष पंडित सतीश नायक ने अब भाजपा का  दामन थाम लिया है। मंगलवार को सतीश नायक ने मुख्यमंत्री चौहान की उपस्थिति में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। मुख्यमंत्री दौरे के दौरान सतीश नायक के घर पहुंचे थे।


आपको बता दें कि कांग्रेस से भाजपा में आए प्रदुम्न सिंह लोधी (Pradyuman Singh Lodhi) को एक महीने पहले बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। दरासल प्रद्युम्न सिंह कांग्रेस नेता मुकेश नायक (Mukesh Nayak) से लगातार संपर्क में थे। यह कवायद दमोह के कद्दावर नेता जयंत मलैया ओर सिद्दार्थ मलैया के रुख को देखते हुए हुआ हैं। पिता-पुत्र कांग्रेस से भाजपा में आए राहुल लोधी को टिकट दिए जाने की बात से नाराज थे। यह सीट राहुल लोधी ने जयंत मलैया से ही छीनी थी।


हालांकि पिता-पुत्र ने भाजपा के खिलाफ कोई भी बगावती सुर बोलने से इंकार कर दिया। इस कारण एमपी के बड़े नेताओं को फिर रणनीति बदलनी पड़ी। कांग्रेस को झटका देने की तैयारी थी। अब उसे मुकेश नायक के भाई सतीश नायक (Satish Nayak) को शामिल करने से संतोष करना पड़ रहा है।

मुकेश नायक है पार्टी से नाराज़:


दमोह बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है। इस क्षेत्र के कद्दावर नेताओं में कांग्रेस की तरफ से मुकेश नायक और अजय टंडन हैं। जानकारी के मुताबिक, अजय टंडन और नायक के बीच सबकुछ सामान्य नहीं है। हालांकि टंडन ऐनवक्त पर मुकेश नायक को मना ले गए हैं। 


ऐसा ही भाजपा में चल रहा है। प्रदुम्न सिंह लोधी का कद बड़ा तो बुंदेलखंड के भाजपा नेताओं गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह और जयंत मलैया की पेशानियों में बल पड़ गया। लोधी कामयाब होने जा रहे थे। यह देख तीनों सक्रिय नेता लामबंद हो गए। वे कांग्रेस से भाजपा में मुकेश नायक को लाने का विरोध करने लगे। नतीजतन, ऐनवक्त पर यह सारा कार्यक्रम टाला गया। हालांकि कांग्रेस नेता मुकेश नायक ने कहा कि मैं राजनीति में 30-35 साल से हूं। भाजपा के नेताओं से संपर्क में भी रहता हूं। लेकिन, जैसा आप सोच रहे हैं वैसा बिलकुल नहीं है।

उपचुनाव के बाद नगर निकाय चुनावों की तैयारी:


दमोह सीट से उपचुनाव (Damoh By Election) होने के बाद नगर निकाय के चुनाव होना है। इसलिए राजनीतिक हलकों में दमोह में चल रहे घमासान पर निगाहें जमकर टिकी हुई है। यहां ब्राह्मण और बनिया वोट बड़े पैमाने पर  असर डाल सकता है। इसलिए इन दोनों वर्ग में दखल रखने वाले नेताओं पर पार्टियां डोरे डाल रही है। भाजपा के अलावा दूसरी पार्टियां भी अपना कैरियर तलाश रही है। उसमें सपा, बसपा के अलावा आम आदमी पार्टी भी है। तीनों ही दल बुंदेलखंड के कई बड़े नेताओं के संपर्क में हैं। इसको देखते हुए एक सीट पर मचे कई तरह के बगावती बवंडर को रोकने के लिए सारे दांव-पेंच चल रहे हैं। हालांकि यह दमोह उपचुनाव के परिणाम ही बताएंगे कि किस नेता ने वाकई जमीन पर जाकर काम किया।


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